बाहिर मान्छे अनगिन्ती देखे।
तातिनै ताती उन्कै निम्ती देखे।।
पिडा सधैं लुकाई त्यो मनमा।
आमा बा प्रतिको बिन्ती देखे।।
लाजको लालिमा डोली सज्यो,
यो मन मेरो हरेको जन्ती देखे।
बिधिको बिधान मानबको चिहान।
समय त साच्चै नै किम्ती देखे।।
गोकर्ण कोईराला
सर्लाही-४
हाल्-अफ्गानिस्तान
तातिनै ताती उन्कै निम्ती देखे।।
आमा बा प्रतिको बिन्ती देखे।।
लाजको लालिमा डोली सज्यो,
यो मन मेरो हरेको जन्ती देखे।
बिधिको बिधान मानबको चिहान।
समय त साच्चै नै किम्ती देखे।।
गोकर्ण कोईराला
सर्लाही-४
हाल्-अफ्गानिस्तान
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